इंसान कभी विकसित हुआ ही नहीं – मेरा नाम सौरभ है और आज मैं आपको बताऊंगा इंसानी दिमाग के विकासक्रम के बारे में जो किन मायनों में कभी विकसित हुआ ही नहीं।
एक कहावत आपने अक्सर सुनी होगी जो कि असल में सच्चाई भी है कि “जब रोम जल रहा था तो नीरो बंसी बजा रहा था।”
महान रोमन साम्राज्य के बारे में आप सभी जानते ही होंगे जिसे जूलियन – क्लॉडियस एम्पायर के नाम से भी जाना जाता है। इस साम्राज्य का सबसे चर्चित राजा Julius Ceaser था। नीरो इस सल्तनत का आखिरी राजा था, जिसका जन्म ईस्वी 37 में हुआ था।
नीरो के शासनकाल में रोम में तमाम परेशानियों ने सर उठाया और एक राजा के लिए कोई नई बात नहीं होती है, मगर वजह ये थी कि नीरो किसी परेशानी को परेशानी मानता ही नहीं था, वो बस लोगों का मनोरंजन करना चाहता था।
रोम का कोलिसियम इसके लिए मशहूर है, जहां हारने वाले को भूखे शेरों के सामने फेंक दिया जाता था और लोग तालियां बजाते थे। और तो और उस कोलिसियम में आने वाले को सरकार पैसे भी देती थी।
हुई ना अजीब सी बात, मतलब मनोरंजन भी करो और पैसे भी पाओ। आह! कैसी परीकथाओं जैसे बातें हैं ये। जबकि सच्चाई कुछ और ही थी। हुआ ये था कि नीरो के समय रोम की अर्थव्यवस्था अपने आखिरी दिन गिन रही थी,
वो जानता था कि उसके बस का कुछ रह नहीं गया था इसलिए लोगों को विलासिता में डुबाये रखने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। वो खुद बांसुरी बजाना जानता था, जब रोम में विद्रोह फैला और बहरी लोगों ने आक्रमण कर दिया तब भी नीरो अपने महल में बांसुरी ही बजा रहा था।
महज़ 30 साल की उम्र में ईस्वी 67 को उसने रोम से दूर जाकर आत्महत्या कर ली, इसी के साथ रोमन साम्राज्य का पतन हो गया।
इंसान कभी विकसित हुआ ही नहीं
वैसे इस कहानी को सुनाने के पीछे मेरा मकसद बिलकुल साफ़ है कि इतिहास खुद को दोहराने वाला है। देश के साथ साथ पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था रसातल में है।
चाहे कोई कितना ही चिल्ला क्यों न ले, स्थिति सुधरते हुए नहीं दिख रही। हालाँकि जनता की आँखों पर पट्टी तो पहले से ही है क्योंकि उन्हें रोज़ रोज़ सरकारें कोई ना कोई सर्कस दिखा रही हैं।
जनता का मनोरंजन हो रहा है और लोगों को अपनी आजीविका से सम्बंधित कोई भी सवाल अब बेमानी सा लगता है। मेरी इन पंक्तियों के पीछे कुछ सवाल हैं, जिन्हे मैं आपसे पूछना चाहता हूँ।
ये सोना और चांदी इतने महंगे क्यों होते जा रहे हैं ? देश के अमीर देश छोड़कर क्यों भाग रहे हैं ? बैंक ब्याज दरें कम क्यों कर रहे हैं ? बड़े बड़े उद्योगपति नुक्सान में क्यों जा रहे हैं ? नौकरियां क्यों जा रही हैं ?
सरकार अपनी सार्वजानिक सम्पत्तियों को क्यों बेच रही है ? जीडीपी नेगेटिव में क्यों जा रही है ? क्यों क्यों क्यों ¿
ये कुछ बड़े सवाल हैं जिनका जवाब शायद कोई सरकार से पूछना भी नहीं चाहता क्योंकि उनका तो मनोरंजन सरकार कर ही रही है, चाहे वो तुर्की हो, चीन हो, पकिस्तान हो, लेबनान हो, इज़राइल हो या फिर अपना देश भारत।
धर्म के नाम पर लोगों का मनोरंजन बदस्तूर जारी है। शायद इसलिए सरकारें बनाई जाती हों क्या पता ?
जीरो ब्याज दर पॉलिसी
बहुत जल्द दुनिया भर के देशों में जीरो ब्याज दर पॉलिसी लागू होने वाली है, जिसके अंतर्गत बैंक में पैसे रखने पर जो रत्ती भर का ब्याज आपको मिलता भी है वो भी बंद हो जायेगा।
यानि की बैंक में पैसे रखने का अब कोई ब्याज नहीं होगा वरन ये भी हो सकता है कि आपको बैंक में पैसे रखने के चार्जेज देने पड़ जाएं। और ऐसा होने के पीछे सिर्फ एक कारण होगा वो है बेरोजगारी।
सरकारें निम्नतम समर्थन के रूप में लोगों के बैंक खातों में पैसे डालेगी, लोग कमाना छोड़ देंगे, मनोरंजन जारी रहेगा, मदद के नाम पर आपका ब्याज छीन लिया जायेगा और आप कुछ बोल भी नहीं पाएंगे क्योंकि बोलने का समय निकल चुका होगा।
निम्नतम समर्थन, मनोरंजन और जीरो ब्याज ये तीन कड़ियाँ मुझे रोमन साम्राज्य की याद दिला देती हैं, इंसान खुद में मस्त है, उसे दिखाया जाने वाला सर्कस पसंद आ रहा है, उसे परवाह ही नहीं है कि उसके साथ क्या षड्यंत्र रचा जा रहा है।
जिस तरह कोलिसियम में आने के पैसे मिलते थे वैसे ही मिलेंगे, उसे बस खुश दिखना है और ताली बजानी है।
अब बारी है अपने इस आर्टिकल के शीर्षक पर लौटने की। मैंने ऐसा क्यों लिखा कि ये इंसानी दिमाग के विकासक्रम के बारे में है। ज़रा सोचकर देखिये आज से 2000 साल पहले भी लोगों को एक ही तरह से बेवक़ूफ़ बनाया जाता था और आज भी जारी है।
पहले भी लोग अपने भविष्य से ज़्यादा मनोरंजन को तरजीह देते थे, आज भी देते हैं। पहले भी लोग दूसरे इंसान को अपनी ज़िन्दगी के लिए संघर्ष करता देख खुश होते थे, आज भी हो रहे हैं।
पहले भी वे आलसी थे जो सरकार द्वारा दी जा रही राशि पर गुजर बसर करने को राजी थे, आज भी हैं। और आखिर में पहले भी लोगों ने रोम जलाया था और आज……..
खैर, मैं कोई नकारात्मक इंसान नहीं हूँ। लेकिन ये सब चारों ओर हो रहा है। आप जब मेरा ये आर्टिकल पढ़ रहे हैं, ज़रा दिल पर हाथ रखकर सोचिये कि क्या आपके पास नौकरी है और अगर है भी तो आगे और कितने दिन रहने वाली है ?
‘द ग्रेट रिसेट’ जी हाँ आप और हम इसके साक्षी बनेंगे। वो अमीर होंगे जो इसके लिए तैयारी कर चुके हैं जबकि वो गरीबी में धस जायेंगे जो मनोरंजन में लीन हैं। आपके बचाये हुए पैसे आपकी कोई मदद नहीं कर पाएंगे क्योंकि महंगाई इतनी होगी कि वो पैसे भी आपकी सहायता करने से रहे।
वैसे ऐसा समय किसी बिजनेस को शुरू करने का सबसे माकूल समय होता है जब अर्थव्यवस्था की धज्जियाँ उड़ चुकी हों। क्योंकि जब बाजार वापस पटरी पर लौटना शुरू करेगा तो आप गुणात्मक गति से अमीर होने लगेंगे।
मैं अपनी बात करूँ तो मैंने इसे अवसर के रूप में पोषना शुरू भी कर दिया है, क्योंकि मैं तैयार था।
क्या आप हैं ??
इंसान कभी विकसित हुआ ही नहीं …………………………………………………सादर नमस्कार!
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